संदेश

नशा के मार , दारू बेकार

भट्ठी खोल कर दिस जंजाल  बनगे भईया जीव के काल  ए चक्कर मा सब बेहाल  दरूहा बोले दारू लावव तत्काल   - अनभिज्ञ 

नशा मुक्ति

*नशा मुक्ति* कब तक मदिरा पान करोगे जिंदगी जिओगे या मरोगे  अब तो अपनी व्यथा को समझो  सत्य की वाणी कथा को समझो  लाख कोई समझाए तुमको  बात-बात में मनाए तुमको  मन का दर्पण साफ करो तुम  खुद का भी इंसाफ करो तुम  जीवन तुम्हारा मस्त करो  वरना  सूरज  अस्त  करो  -अमित टंडन "अनभिज्ञ"
*गीत* (निगाहो में जादू है तेरा मुस्कुराना) निगाहों में जादू है तेरा मुस्कुराना  मुँह फेर लेना कभी,कभी रूठ जाना  मन  मेरा क्यूँ? बेचैनी में रहता है  तुमसे ना रुख्सत हो जाए डरता है  तेरा मेरे पास आना,आके चले जाना  निगाहों में जादू...............!  नींदों में ख्वाबों ने पागल किया है  कातिल अदाओं ने घायल किया है  नजरें गड़ाए देखे,फिर नजरें चुराना  निगाहों में जादू...............!  रब से शिकायत कैसी तुम जो मिल गई  चेहरा कँवल के जैसा घूँघट में खिल गई रोज जगाता मुझको तेरा जाग जाना  निगाहों में जादू...............!  -अमित टंडन "अनभिज्ञ" बरबसपुर कवर्धा  8103892588
"जय मजदूर वर्ग" लालच की कड़वाहट से  सदैव  दूर  होते हैं,  काम  काज   में   हरदम   मशहूर   होते  हैं  यही  नहीं  इस   दुनिया   के  ये  आधार  हैं अपने कर्मों से वीर बलशाली मजदूर होते हैं  -अमित टंडन अनभिज्ञ  बरबसपुर कवर्धा 

उल्लाला छंद -मजदूर दिवस

*मजदूर दिवस विशेष* महिनत करथँव घाम मा, मन हा नइ अकुलाय जी।  मजा करव मैं काम मा, मजदूरी बड़ भाय जी॥  काम करय मजदूर हा, बिना करे आराम जी।  इँखरे सेती हे बढ़े, जग भर म ताम झाम जी॥  बनी करे बनिहार हा, जावय जल्दी खेत जी।  दिनभर ऊमन काम के, राखय सुग्घर चेत जी॥  छंद साधक -अमित टंडन *अनभिज्ञ*            बरबसपुर कवर्धा            8103892588

मुक्तक -मजदूर दिवस

अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस  अपने काँधों पर जो सबका बोझ उठाता है,   गरिमामयी इस धरती पर जो अन्न उगाता है।  मन में जरा सा भी अहम भाव नहीं रखता,    वही कर्मठ ओजस्वी मजदूर कहलाता है॥  - अमित टंडन " अनभिज्ञ "