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सुविचार

इंसानों कि बुद्धिमता उनके मस्तिष्क में समाहित होती है वह सकारात्मक और नकरात्मक दोनों सोचता है। उन्हें बदलना इतना आसान नहीं और ना बदल सके ऐसा मुश्किल काम नहीं। "कठिनाई होती है मुश्किल होता है जीवन इससे भी मुश्किल होता है आपसी बंधन। " -अमित कुमार अनभिज्ञ    बरबसपुर कबीरधाम  ज्ञान और अज्ञान क़ा रिश्ता बहुत पुराना है  कई सदियों से इसकी गाथा बताई जा रही है  ज्ञान क़ा क्षेत्र अपार,अज्ञान क़ा क्षेत्र प्रचार है।  -ईश्वर से प्राथना एक विवेक के लिए 

कविता(poetry)

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रोज आते रहे रोज जाते रहे  खुद से ही हम दूरी बनाते रहे  क्या कमी थी हमारे रिश्तों के बीच  तुम हमें हम तुम्हें युं भुलाते रहे  कांटे गड़ जाए पांव में क्या करें  दूस्करो के झील में जीये या मरे  फिर क्यूं ये भुवनगम तन में बसा  हम हंसाते रहे तुम रूलाते रहे  बातों में इतनी भी क्या जलन आ गई  आँख से आंसू बरसे घटा छा गई  अब भी किस बात पर युं अकड़ना है  तुम छुपाते रहे सदा हम बताते रहे ।  पंखुड़ी खुल गई सीपी भी हट गया  शीत कि बूंद अधरों से भी छट गया  पर घनाघोर मौसम छाई लग रही  मैं तो भीगता रहा तुम भीगाते रहे  कुछ समझ में आता नहीं तुम हो क्या  कोई शम्मा हो याँ फिर हो बुझता दीया  हाथ पकड़ो कहो तो गला ही पकड़े  हम जलाते रहे तुम बुझाते रहे l रोज आते रहे रोज जाते रहे ,,,,,,,,,,,,॥ -अमित कुमार अनभिज्ञ   बरबसपुर कबीरधाम 

शायरी

ये आसमां के चमकते तारे  रात को मुझसे कह रहे है  हमें बूलालो अभी जमीं पर  नज्में कहते बह रहे है । 

छत्तीसगढ़ महतारी

छत्तीसगढ़ के घट म बसे अरपा पैरी चिन्हारि हो इहे सभ्यता बसाईन राजवंश अउ कलचुरी हो इहे के धरती ल उपजे सौनहा खेती बारी हो जेकर नाम सुनके सब कहींथए इही  छत्तीसगढ़ महतारी हो -अमित कुमार अनभिज्ञ  बरबसपुर कबीरधाम 

The big frame

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मोतियों क़ा दाम जान से ज्यादा नहीं होता। 

Peotry

            कविता जगह जगह सौदागर साहूकार दिखाई देता है, बिना नांव के सागर में पतवार दिखाई देता हैं। सच्चाई की एक झलक से कोई तो वाकिफ करो हे जहां भी देखो कूटनीति सरकार दिखाई देता है॥ -अमित कुमार अनभिज्ञ  बरबसपुर कबीरdha