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शेर

शेर  मौत का पता किसे चाहिए  जिसे पता है या फिर उसे चाहिए जिसे जिंदगी  से खता है।  -   अनभिज्ञ 
( गीत ) जिंदगी शोर कर बुलाती है  नफरते तोड़कर बुलाती है  दिन के सपने क्या रखा है    जिंदगी आप ही आजमाती है  जिंदगी शोर...............।  राहों में काँटों का कहर होगा  जहरीले सांपों का जहर होगा    हर घड़ी मौत तिलमिलाती है जिंदगी शोर ................।  जीत और हार है यहाँ पर तो     प्रेम का व्यापार है यहाँ पर तो     सच का पर्दा यही उठाती है   जिंदगी शोर.................।  खुद को दर्पण में देखते है कभी  मन के तर्पण में देखते हैं कभी  कभी ये हँसाती और रुलाती है जिंदगी शोर ....................।  -अमित टंडन "अनभिज्ञ" बरबसपुर कवर्धा  8103892588

मुक्तक

मुक्तक  व्यक्ति के व्यक्तित्व से ही विचार बनता है  रिश्तों की मजबूती से ही परिवार बनता है  जिंदगी मंजिल का पता  ढूँढ  ही  लेती  है  क्यूंकि फूल  से  फूलों  का  हार  बनता है -अमित टंडन अनभिज्ञ  बरबसपुर कवर्धा  

उल्लाला छंद

उल्लाला छंद  1.भाई-भाई के मया , नाप जोख झन तोल जी ।  सबले बढ़िया हे कथे, रिश्ता ये अनमोल जी ॥  2.माटी के काया बने , झन कर गरब गुमान जी ।     सत केरद्दा छोड़ मत , तब तो पाबे ज्ञान जी ॥  3.काँटा गड़गे पाँव मा, रहि-रहि गोड़ पिराय जी ।    छाला होगे हाथ मा, मन बैरी अकुलाय जी ॥  4.मन ला मोहे तै बही, मुच-मुच ले मुस्काय रे ।    आंखी मा काजर लगा,दिल मा बान चलाय रे॥ 5. दुख के बाद मर आय हे, पीरा ला बरसाय जी।       का होही ए सोंच के, मन हा बड़ घबराय जी ॥  छंद साधक- अमित टंडन अनभिज्ञ                  बरबसपुर कवर्धा                  8103892588

दोहा छंद

         दोहा छंद - दीया जलाव 1. दीया जलाव नेत के , जिनगी अपन बचाव ।      कोरोना के नाश कर , घर मा सुख बगराव ॥  2. ऐलान करव जंग के , देवव सब झन साथ ।       कोरोना ला  मात  दे , आगे  बढ़ाव  हाथ ॥  3. मिले मउका आज जी, राखव अपन बिचार।       संकट ला निपटाय बर, हो जावव तइयार ॥  4. बहुते होगे काम के , झंझट  अइसन  यार ।      कोरोना  ला  मारबो , तब  होही  उद्धार ॥        छंद साधक - अमित टंडन "अनभिज्ञ "