उल्लाला छंद 1.भाई-भाई के मया , नाप जोख झन तोल जी । सबले बढ़िया हे कथे, रिश्ता ये अनमोल जी ॥ 2.माटी के काया बने , झन कर गरब गुमान जी । सत केरद्दा छोड़ मत , तब तो पाबे ज्ञान जी ॥ 3.काँटा गड़गे पाँव मा, रहि-रहि गोड़ पिराय जी । छाला होगे हाथ मा, मन बैरी अकुलाय जी ॥ 4.मन ला मोहे तै बही, मुच-मुच ले मुस्काय रे । आंखी मा काजर लगा,दिल मा बान चलाय रे॥ 5. दुख के बाद मर आय हे, पीरा ला बरसाय जी। का होही ए सोंच के, मन हा बड़ घबराय जी ॥ छंद साधक- अमित टंडन अनभिज्ञ बरबसपुर कवर्धा 8103892588