मुक्तक

जिंदगी के सफर में ही चलते रहे ,
कीस्मतो के भरोसे हाथ मलते रहे। 
जीने मरने की परवाह ना करना तुम
हम  बदलते  रहे  तुम  बदलते  रहे॥ 

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साहित्यिक कविता मुक्तक,gajal

कविता(poetry)

छत्तीसगढ़ महतारी