काम करो कुछ ऐसा
काम जग करो कुछ ऐसा सबकुछ जीवन में हो जाए
मन संत रहे हमेशा अमृत सुख सम पा जाए
हट योग ना कभी जीवन का सत्य पथ दर्पण
ऐसा सत्कर्म हो का हरदम सारे कर्म सफल हो जाए
-अमित कुमार अनभिज्ञ
हालात ऐसा ना करना तुम सिर झूकाके चलना पड़े
नफरत कि आँधी में जलके प्रेम ताप में जलना पड़े
मुश्किल भंवर में फंसकर राही साहिल क्या मिलेगा
नाव संग पतवार चलाकर सागर भी पार करना पड़े॥
मन संत रहे हमेशा अमृत सुख सम पा जाए
हट योग ना कभी जीवन का सत्य पथ दर्पण
ऐसा सत्कर्म हो का हरदम सारे कर्म सफल हो जाए
-अमित कुमार अनभिज्ञ
हालात ऐसा ना करना तुम सिर झूकाके चलना पड़े
नफरत कि आँधी में जलके प्रेम ताप में जलना पड़े
मुश्किल भंवर में फंसकर राही साहिल क्या मिलेगा
नाव संग पतवार चलाकर सागर भी पार करना पड़े॥
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