दोहा


(1) हास्य तभी जीवन में, जब चेहरा मुस्काय।
     दुख दर्द को भुलाकर, आनंद जीवन पाय ॥

(2) मती सवारी के चलै, मन नाहीं बौराय ।
     अंतरभाव सहेज के,जीवन सफल बनाय॥

                  -अमित कुमार अनभिज्ञ 
                    बरबसपुर कबीरधाम 

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