रचना

        मुक्तक

किसी कि खुशनुमाई को चुराया जा
नहीं सकता ,
ये गर्दन गर्व कि दौलत है झुकाया जा
नहीं सकता ।
हमारे खून में वों कर्ज है भुलाए नहीं
भूलते ,
विपत्ति आएगी सिर पर हटाया जा
नहीं सकता ॥

-अमित कुमार अनभिज्ञ
 बरबसपुर कबीरधाम 

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साहित्यिक कविता मुक्तक,gajal

कविता(poetry)

छत्तीसगढ़ महतारी