मुक्तक छंद

 गांव गांव से मिला तो नगर बन गया
सीपी कि बूंद सर्प में जहर बन गया 
क्या क्या जग में है ईश्वर बताओ हमें 
जब चला राही राह पर डगर बन गया 

-अमित कुमार अनभिज्ञ 
बरबसपुर कबीरधाम 

टिप्पणियाँ

साहित्यिक कविता मुक्तक,gajal

कविता(poetry)

छत्तीसगढ़ महतारी