"वंदे माँ शारदे"

हे जननी हे जन्मभूमि

माँ तेरे बिन जीवन ये प्यासा मेरा
तुझसे मिलने कि अभिलाषा मेरा
तू पुकारे अगर माँ चला आऊंगा
तू ही जननी मेरी तू विधाता मेरा

माँ तुम्हीं हो मेरे जीवन कि कतार
वीणा जैसी बजती रहती सितार
मेरे कानों में आती ध्वनि ही तेरी
तू जो आए तो आ जाए वन बहार

                -अमित कुमार अनभिज्ञ
                 बरबसपुर,कबीरधाम 

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